Thursday, September 9, 2010

---------- भांग-------------
साधुओं कि तपस्या , प्रभु को नमस्कार है भांग
भुजते मन को लो , प्यारी का आकार है भांग
सदियों से सभ्यता को जो स्वीकार है भांग
छोटा सा क़स्बा नहीं ,एक पूरा संसार है भांग

न पिंक फ्लोयड होते,न कोबेन होते
इन गवैयों का जो राग है भांग
एक सवरतें चित्र से उड़ते रंगों का
सुस्वर मंद पराग है भांग

थोडा प्रयत्न करके ,अगर ठीक से समझो
तो जीवन का एक प्रमुख अद्याय है भांग
हो सके तो उन सबको खोज निकालो
भीड़ मैं घुला हुआ,एक सुभोद समुदाय है भांग

- कृष्णेंदु

No comments: