Sunday, August 1, 2010

खुदा हो न हो , मेरे दोस्त हैं,बहुत हैं
तुम जुदा, हो न हो,मेरे दोस्त हैं,बहुत है
बेज़ार समंदर और कश्तियाँ ,हो न हो
मेरे दोस्त हैं ,जी बहुत है

ज़ाबित ज़िन्दगी लाखो सवाल करती हैं
जवाब हो न हो ,मेरे दोस्त हैं,बहुत है
अब इस यासार जिंदिगी में कोई
आरज़ू हो न नो ,मेरे दोस्त हैं ,बहुत है

मज़िलें अभी हसिल, हो न हो
सफ़र में ,मेरे दोस्त हैं ,बहुत है
अब तुमसे और क्या मांगे ज़िन्दगी
शुकरिया, मेरे दोस्त हैं ,अजी बहुत हैं

- कृष्णेंदु

1 comment:

Bohemian said...

बहुत ही बढिया लिखा है दोस्त.. दिन पर दिन निखारते जा रहे हो तुम.