Tuesday, July 28, 2009




सरल सरस सौंदर्या
मुख पूर्ण चंद्रोदय
सर्व गुण संयोगिता
कमल से कोमल ह्रदय

चंचल चित ,चिर चरित्र
चन्द्रमुखी चंचला
नृत्य करें नैन नक्षत्र
नित्याप्रिया निर्मला

नैन तेरे बाण है
भोह तेरे प्रत्यंचा
इन बाणों की वृष्टि में
सर्व भावों की मंचा

वाणी में है सरस्वती
कर्म में तेरी निष्ठां
ह्रदय में है स्थापित
मानो तेरी ही प्रथिष्ठां

तुम तत्वों का ज्ञान हो
तुम वेदों की शिक्षा
हर जन्म में रहा सदा
मुझे तेरी ही प्रतिक्षा

तुम यश ,तुम कीर्ति
तुम प्रेरणा का कोष हो
तुम ही मेरा जीवन
तुम ही मेरा मोक्ष हो


--------कृष्णेंदु------

2 comments:

gyaneshwaari singh said...

kya baat hai
bahut achi hai apki hindi to...acha laga apdke itni achi rachna ..hindi ki.

प्रकाश पंकज | Prakash Pankaj said...

बहुत ही सुन्दर और हृदय को छूने वाली रचना ..... धन्यबाद !