Friday, July 24, 2009

कलयुग का रावण


में कलयुग का रावण
क्या मुझे राम मिलेगा ?
सदियों से रहा में पाप का प्रतीक
कब मुझे विश्राम मिलेगा ?
में रावण मेरा दहन नहीं होता
यह मनो आत्मदाह होता हूँ
और में रावण ,हे कलयुग के मानव
दसो सर झुका तेरे पापो पे रोता हूँ
हे मानव तेरे कसबे में क्या
क्या एक भी राम नहीं है ?
कितने पाप करेगा तू
क्या कोई विश्राम नहीं है ?
दसो सरो का भार जैसे
मेरे इन कंधो पर है
तेरे इस समाज के डोर
कुछ पापी अन्धो पर है
में कलयुग का रावण
क्या मुझे राम मिलेगा ?
सदियों से रहा में पाप का प्रतीक
कब मुझे विश्राम मिलेगा ?
-कृष्णेंदु

1 comment:

gyaneshwaari singh said...

ravan ko vishram kais emil skata hai ab to jaise har taraf das sir wale ravan ke clones ghum rahe hai..
achi rachna