Wednesday, July 15, 2009




यूँ ही मन को टटोला
और कुछ पुराने याद मिले
वक़्त के कुछ पन्ने पलटे
कुछ भूले से किरदार मिले

कुछ धूल भरी सड़के मिली
कुछ टेडी मेडी गलियां
एक घर ,उसका आँगन मिला
पिंजरे में चहकती एक चिडिया

एक काट का गुड्डा मिला
एक बूडा सा अलमारी
कुछ आंगन की मिटटी मिली
जिसे माँ कहती थी क्यारी

एक कांच का टुकडा मिला
और मिली कुछ सतरंगी धूप
खिल्खिलाता एक बच्चा मिला
मानो मेरे बचपन का रूप

कोने में पड़ा एक संदूक मिला
जो हजारों यादें संजोये था
वोह आज नींद से जाग उठा
बरसो से जो सोये था

-------------कृष्णेंदु ---------

1 comment:

gyaneshwaari singh said...

acha hua wo jag gya
yadoin ke jhrokhe se
kuch pal mile aise
jinka rang yahan
bikhara gya hai