Thursday, July 9, 2009

**अहा ज़िन्दगी !**


अहा ज़िन्दगी !

हसाती है ,रुलाती है
थप्पी देकर सुलाती है
गुगुदाती है ,गुनगुनाती है
और दूर खड़ी मुस्कुराती है

यादों को यादगार बना दो
ज़िन्दगी एक किताब बना दो
वक़्त को पन्ने और
दोस्तों को किरदार बना दो

जी चाहे जीने को
एक और ज़िन्दगी
अरे वाह ज़िन्दगी !
अहा ज़िन्दगी !


--कृष्णेंदु


1 comment:

gyaneshwaari singh said...

jindagi kai roop lekar samne ati hai
unko shabdo me sanjoke ham sabse pyari albm banate hai yadoin ko phir se taza karne ke liye