Wednesday, June 17, 2009

**********आज मन बावरा*************

आज मन बावरा क्यूँ बरस रहा है ?
है क्या उदासी , क्यूँ तरस रहा है ?
यूँ सिसक सिसक कर रो रहा है
जैसे खाली पेट सो रहा है

सो जा ,सो जा रे मेरे मन
आज बस उदास न हो
आज इस एक रात की बात है
आज किसी की तलाश न हो

आज सो जा ,सो जा
आज कोई आवाज़ न कर
आज सो जा ,बस सो जा
आज कोई एहसास न कर

आज न कोई सोच हो ,
आज न कोई फिक्र हो
इतना तो मुझपे अहसान कर
आज तू आराम कर

अब बहुत दिन हो गए
और तू बड़ा उदास है
जो मुझसे दूर चला गया
वोह तुज मैं बहुत पास है

बस आज और सो जा
इतनी सी फरियाद है
तु मुझे से दूर,मैं तुज स दूर
और कल से तू आजाद है

--कृष्णेंदु

6 comments:

gyaneshwaari singh said...

अब बहुत दिन हो गए
और तू बड़ा उदास है
जो मुझसे दूर चला गया
वोह तुझ मैं बहुत पास है

bahut acha band hai ye....
aap acha likhte hai..

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

bahut khub. lekin udas mat hona.narayan narayan

राजेंद्र माहेश्वरी said...

हमारा मन उपजाउ खेत हैं, जैसा बोएंंगे, वैसा ही काटेंगे।

शशांक शुक्ला said...

बेहतरीन रचना है आपकी पढ़कर दिन रुआंसा हो गया कुछ याद उभर आई

इस्लामिक वेबदुनिया said...

आपका ब्लॉग अच्छा लगा

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।