आज मन बावरा क्यूँ बरस रहा है ?
है क्या उदासी , क्यूँ तरस रहा है ?
यूँ सिसक सिसक कर रो रहा है
जैसे खाली पेट सो रहा है
सो जा ,सो जा रे मेरे मन
आज बस उदास न हो
आज इस एक रात की बात है
आज किसी की तलाश न हो
आज सो जा ,सो जा
आज कोई आवाज़ न कर
आज सो जा ,बस सो जा
आज कोई एहसास न कर
आज न कोई सोच हो ,
आज न कोई फिक्र हो
इतना तो मुझपे अहसान कर
आज तू आराम कर
अब बहुत दिन हो गए
और तू बड़ा उदास है
जो मुझसे दूर चला गया
वोह तुज मैं बहुत पास है
बस आज और सो जा
इतनी सी फरियाद है
तु मुझे से दूर,मैं तुज स दूर
और कल से तू आजाद है
--कृष्णेंदु
6 comments:
अब बहुत दिन हो गए
और तू बड़ा उदास है
जो मुझसे दूर चला गया
वोह तुझ मैं बहुत पास है
bahut acha band hai ye....
aap acha likhte hai..
bahut khub. lekin udas mat hona.narayan narayan
हमारा मन उपजाउ खेत हैं, जैसा बोएंंगे, वैसा ही काटेंगे।
बेहतरीन रचना है आपकी पढ़कर दिन रुआंसा हो गया कुछ याद उभर आई
आपका ब्लॉग अच्छा लगा
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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