हवा के साथ साथ
एक कटी पतंग चला
कुछ पल के लिए सही
आज तेरे संग चला
हवा चली, उड़ चला
जहाँ मुडी,मुड चला
बांद के सरे रंग चला
रोशनी और उमंग चला
उड़ चला हूँ दूर कही
नहीं तेरी ओर नहीं
एक कटी पतंग हूँ
संग कोई डोर नहीं
फिर चली हवा
और उड़ चला हूँ मैं
तुम न रोको मुझे
बड़ा मन चला हूँ मैं
--कृष्णेंदु
1 comment:
kya bata hai patang ban kar udna acha laga hoga na...achi lagi rachna
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