Tuesday, November 11, 2008

****************** निशब्द *****

मेरी दो पंक्तियों की कविता
अधरों पे आतें ही लजा गयीं
सूर्यमुखी तेरे इस तेज़ से
मानो जैसे मुरझा गयीं

मेरी दो पंक्तियों की कविता
छोटीं सी वर्णमाला
कैसे करें तेरा वर्णन
तू ,बच्हन की मधुशाला

मेरी दो पंक्तियों की कविता
मौन है , मूक दर्शक तेरे योवन का
मेरी कविता के सारें शब्द
मानो निशब्द

कृष्णेंदु

1 comment:

gyaneshwaari singh said...

kya baat hai
apki do panktiyo ki kavita padi acha laga...

ache bhav hai

sakhi

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